नंदकट्ठी!हमर मितान- छत्तीसगढ़ के अपनी संस्कृति के अनुसार पूरे वर्ष विभिन्न त्यौहार मनाएं जाते हैं जिले के ग्रामीण अंचल में सावन माह लगने के प्रथम शनिवार गांव के सरहद में सवनाही का पूजा अर्चना किया गया। इसका सीधा संबंध कृषि कार्यों से होता है। सावन महीने में कई प्रकार के रोगों और जहरीले जीव जंतुओं से बचने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते है साथ ही गांव की सीमा को बैगा व गांव के प्रमुख लोगों की उपस्थिति में नकारात्मक चीजों बचने के लिए पूजा पाठ किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि यह त्यौहार पूर्वजों के समय से मनाया जा रहा है इस त्योहार में ग्रामीण अच्छी बारिश और फसल के लिए ग्राम के देवी देवताओं से प्रार्थना करते है सवनाही त्यौहार को सावन माह प्रत्येक रविवार मनाया जाता है इस दिन कृषि कार्य नही किया जाता है ग्रामीण मिलजुल कर त्योहार मनाते है घरों के दीवारों पर गाय के गोबर से लेपन कर विशेष प्रकार की आकृति और चित्रकला बनाई जाती है इसे शगुन का परिचायक माना जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इस गोबर से बनी चित्रकला घर का वातावरण शुद्ध करती है और बाहरी बीमारियों का घरों में प्रवेश नहीं होने देती।
वैज्ञानिक युग में भी जारी है ग्रामीण मान्यता
वैज्ञानिक युग में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। लोग चंद्रमा तक सफर कर रहे हैं, दूसरी ओर गांव में अभी भी अंधविश्वास से जुड़ी पुरातन पंरपराओं को निभाया जा रहा है। हालांकि की गांव की नई पीढ़ी का भरोसा ऐसी परंपराओं से अलग हो रहा है। लेकिन पूर्वजों के बताए कायदों को अभी भी निभाए जाने से इंकार नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण कहते हैं कि इससे कुछ हो या न हो, लेकिन अदृश्य बुरी शक्ति को दूर करने पूर्वजों द्वारा चलाई गई। इन परंपराओं का कुछ तो असर होता होगा। जिसका पालन करने से किसी को भी परहेज नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार इससे जादू-टोने का प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही घर-घर के लोग व गौवंश की बुरी शक्तियों से सुरक्षा होती है।
