स्व. इंदिरा जी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में उनका नाम अग्रिम पंक्तियों में व स्वर्ण अक्षरों में देश के हित के लिए किए गए कार्यों व जन हितैशी निर्णयों के लिए अंकित रहेगा- ओएसडी आशीष वर्मा!

रवि सेन  9630670484

दुर्ग, पाटन!हमर मितान-जामगांव आर- ब्लॉक के ग्राम अरमरी खुर्द में इंदिरा गांधी जयंती समारोह का आयोजन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आशीष वर्मा ओएसडी मान. मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, अशोक साहू उपाध्यक्ष जिला पंचायत दुर्ग, श्रीमती देवकी चुरामन साहू सरपंच ग्राम पंचायत अरमरी खुर्द, भेष आठे ज़ोन प्रभारी, कपूर साहू सेक्टर प्रभारी बटरेल, रूपचंद गजपाल बूथ अध्यक्ष ग्राम अरमरी खुर्द, के आतिथ्य में संपन्न हुआ, कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जी की प्रतिमा में सभी अतिथियों के माध्यम से माल्यार्पण कर उनको याद कर उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आशीष वर्मा ने कहा- आदरणीय साथियों हमारे देश के इतिहास को देखें तो हमारे भारत देश के आजादी के पूर्व जो देश भक्ति के लिए आगे बढ़ा है व उसके लिए कठिन पीड़ा और यातनाएं सहने के बाद भी, हमारे देश के हित के लिए त्याग, तपस्या, संघर्ष किया है, और देश की स्वतंत्रता व आजादी, देश की अखंडता एकता के लिए जिन्होंने बलिदान दिया है, अगर वह कोई परिवार है तो वह गांधी नेहरू परिवार, जिनके नेतृत्व में देश के स्वतंत्रता के लिए पूरे भारतवर्ष के लोगों ने संघर्ष किया है, हमारी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री को पूरे भारतवर्ष में और पूरे विश्व में उनके कर्तव्य निष्ठा एवं नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है देश हित में किया गया उनका कार्य त्याग, तपस्या और बलिदान को हमारे यह देश के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे और इसी कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण पूरा विश्व में इंदिरा जी को आयरन लेडी के रूप में भी जाना जाता है।
ओएसडी श्री वर्मा जी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी, कमला नेहरू स्मृति अस्पताल, गांधी स्मारक निधि और कस्तूरबा गांधी स्मृति न्यास जैसे संगठनों और संस्थानों से जुडी हुई थीं, साथ ही वे स्वराज भवन न्यास की अध्यक्ष थीं। 1955 में वह बाल सहयोग, बाल भवन बोर्ड और बच्चों के राष्ट्रीय संग्रहालय के साथ जुड़ गई। श्रीमती गांधी ने इलाहाबाद में कमला नेहरू विद्यालय की स्थापना की थी, वह 1966-77 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और पूर्वोत्तर विश्वविद्यालय जैसी कुछ बड़ी संस्थानों के साथ जुडी रहीं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय न्यायालय, 1960-64 में यूनेस्को के भारतीय प्रतिनिधिमंडल,  1960-1964 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड और 1962 में राष्ट्रीय रक्षा परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। वह संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय एकता परिषद, हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, नेहरू स्मारक संग्रहालय, पुस्तकालय समाज और जवाहर लाल नेहरू स्मृति निधि के साथ जुडी रहीं। विभिन्न विषयों में रुचि रखने वाली श्री गाँधी जीवन को एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखती थीं जिसमें कार्य एवं रुचि इसके विभिन्न पहलू हैं जिन्हें किसी खंड में अलग नहीं किया जा सकता या न ही अलग-अलग श्रेणियों में रखा जा सकता है।

उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त किया, उन्हें सन् 1972 में भारत रत्न पुरस्कार, 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 में श्रीमती गाँधी को अमरीका ने मदर पुरस्कार, कूटनीति में उत्कृष्ट कार्य के लिए इटली ने इसाबेला डी ‘एस्टे पुरस्कार और येल विश्वविद्यालय ने होलैंड मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया। फ्रांस जनमत संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार वह 1967 और 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी। 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी। पशुओं के संरक्षण के लिए 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि भी प्रदान किया गया।

ओएसडी श्री वर्मा ने आगे कहा कि- हमारा देश स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का देश है यहां अनेक संत, महात्मा, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक नेताओं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, महापुरुषों, एवं अनगिनत शहीदों ने जन्म लिया है यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव की बात है, उनमें से ही हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में देश के हित के लिए किए गए कार्यों व जन हितेषी निर्णयों के लिए अंकित है, और जब तक इतिहास है, व जब तक मातृभूमि के सपूत लोग हैं, जब तक इस दुनिया जहां में सूरज चांद है तब तक दुनिया में भारत की बेटी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा जी का नाम अमर रहेगा। आप सब उस पल को याद करिए साथियों जब इंदिरा जी के जनसभा का आखरी भाषण ओडिशा में था और उनका अपने व्यक्तव मे दिए गए संबोधन ने अंतिम यही शब्द था, मैं चाहे जीवित रहूं या ना रहूं लेकिन मेरे खून का एक एक कतरा भारत के हित के लिए काम आएगा, हम सभी इसी से ही अंदाजा लगा सकते हैं थे कि वह कितने बड़ी दूरदृष्टि कोण रखने वाली, राष्ट्रहित व एकता की सोच रखने वाले प्रधानमंत्री थी स्व. इंदिरा जी, आज उनके जन्म जयंती के अवसर पर मैं उनको ह्रदय अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अशोक साहू ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी की जन्म जयंती पर स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि- देश की एकता और अखंडता बरकरार रखने में इंदिरा गांधी जी का अतुलनीय योगदान अपने जीवन के शुरुआती दौर से रहा है, उन्होंने इस महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों का न्योछावर कर दिया, उनके कार्यकाल में भारत की सेना ने ऐतिहासिक शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को पराजित किया तथा बांग्लादेश का निर्माण भी उन्हीं के समय हुआ, राष्ट्र को समर्पित, उनकी राजनीतिक दृढ़ता, एवं कार्य कुशलता को हम भारतवासी सदैव हर पल याद करते रहेंगे।"

इस अवसर पर देवप्रकाश साहू , देवकी साहू सरपंच, प्रेम लाल उपसरपंच, निर्मल यादव लक्ष्मण यादव, सतीश, विष्णु यादव, हरमन यादव, धनेश्वर साहू, भुखन साहू, पोखन यादव, सरजू साहू, बलदाऊ साहू, जोहीरत साहू, युवा कांग्रेसी देव प्रकाश साहू, सीता साहू, हेमा साहू, उमाशंकर साहू, ओमप्रकाश रिवागहन, अनिरुद्ध साहू पंच, तामेश्वर पंच, चमरू यादव, रेवा साहू, राजेन्द्र, बिसाहू यादव, जुगलाल यादव, दुलरवा यादव, एवम समस्त ग्रामीण जन इंदिरा गांधी चौक अरमरी खुर्द में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।


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