रविआनंद 9630670484
नंदकठ्ठी!हमर मितान- लोगों की मांग के अनुरूप रोजगार की गारंटी देने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना वास्तव में आज आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन और रोजगार की गारंटी बन गई है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 (मनरेगा) एक क्रांतिकारी और तर्क संगत का जीता जागता उदाहरण है। यह क्रांतिकारी बदलाव का सूचक इसलिए है क्योंकि इस कानून ने गरीब से गरीब व्यक्ति के हाथों को काम व आर्थिक ताकत देकर भूख व गरीबी पर प्रहार किया है।
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मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले ग्राम नंदकठ्ठी, बोड़ेगांव, अरसनारा, रवेलीडीह सहित आसपास गांव के मजदूर बैंक का चक्कर लगा रहे है। क्योंकि कई लोगों का पैसा नहीं आया है। इस शादी सीजन में मजदूरों को उम्मीद था कि पैसा आ जायेगा। लेकिन आज तक नहीं आया है। सबसे अधिक परेशानी समीपस्थ ग्राम अरसनारा के पांच मजदूरों का जिसका पूर्व में 10 से 15 सप्ताह का पैसा न आने के कारण चल रहे मनरेगा कार्य में नए सत्र अप्रैल माह से कार्य पर जाने से बंद कर दिया है। ग्राम अरसनारा में चारागाह के पास नया तालाब निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें लगभग 140 मजदूर काम पर जा रहे है। इसमें 64 ऐसे परिवार है जो 150 दिन काम किये है लेकिन 50 दिन का पैसा नहीं आया है। ग्राम अरसनारा के संतोषी यादव के लगभग 10 सप्ताह, कीर्ति साहू के 7 सप्ताह, ललिता 12 सप्ताह, ईश्वरी यादव के 15 सप्ताह का पैसा नहीं आया है पैसा न आने के कारण काम पर नही जा रहे है। क्योंकि काम करने के बाद भी इन पांचों मजदूर का पैसा नहीं आ रहा है। ग्राम बोड़ेगांव में नाला पुनरूद्धार व नया तालाब निर्माण का कार्य चल रहा है जिसमें लगभग 120 मजदूर कार्यरत है वही अप्रैल माह का पैसा नही आया है। ग्राम ननकट्ठी में भूूमि सुधार का कार्य चल रहा है जिसमें 15 से 20 मजदूर कार्यरत है। भूमि सुधार के काम पर जाने वाले संताराम साहू ने बताया कि 5-6 सप्ताह का पैसा नहीं आया है। ग्राम रवेलीडीह में अप्रैल माह तक मनरेगा काम चला है जिसमें लगभग 200 मजदूर कार्यरत थे और यहां मई माह से कार्य बंद है इन मजदूरों का भी अप्रैल माह का पैसा नहीं आया है।
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